18 मई की रात की बात है 24 साल का एक आदमी अनीश और 24 साल की एक औरत अश्विनी अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने जाते हैं पुणे के एक क्लब में वैसे तो ये दोनों जबलपुर के रहने वाले थे मध्य प्रदेश से लेकिन साथ में ये एक IT Company में काम कर रहे थे।
पुणे में जिस क्लब में ये जाते हैं उसका नाम है बॉलर और इस जगह से करीब 3 किमी दूर इसी रात को वेदांत और उसके 12 दोस्त कोसी नाम के एक पब में मिलते हैं समय था रात के 10:04 जब वेदांत और उसके दोस्त इस पब के अंदर आए और सिर्फ डेढ़ घंटे के अंदर-अंदर इन्होंने जमकर पैसे उड़ाए कि खाने पानी का बिल 8000 पहुंच गया इस समय की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग पब्लिक के लिए Available है।
जिसमें आप देख सकते हो वेदांत और उसके दोस्त शराब पी रहे हैं ध्यान देने वाली बात यह है कि वेदांत की उम्र 18 साल से कम है मिनिमम ड्रिंकिंग एज लिमिट से कहीं ज्यादा नीचे रात के करीब 12:00 बजे यह पब वेदांत और उसके दोस्तों को Serve करना बंद कर देता है तो यह लोग इस पब को छोड़कर बाहर निकलते हैं ये कुछ किलोमीटर दूर मैरिएट स्वीट्स के एक क्लब में जाते हैं ब्लैक नाम से यह जगह भी 3 किलोमीटर दूर थी उस क्लब से जहां पर अनीश और अश्विनी अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रहे थे।
रात को करीब 2 बजे के आसपास वेदांत अपने दो दोस्तों के साथ इस ब्लैक क्लब से बाहर निकलते हैं और शराब के नशे में अपनी इलेक्ट्रिक पोर्शे टाइकन की गाड़ी में बैठते हैं इस गाड़ी में इनके घर के ड्राइवर भी मौजूद होते हैं रात के करीब 2:30 बजे अनीश और अश्विनी भी अपने घर वापस लौट रहे थे।
साथ में एक मोटरसाइकिल पर बैठकर इनकी मोटरसाइकिल कल्याणी नगर एयरपोर्ट रोड पर एक यू टर्न लेती है कि तभी दूसरी तरफ से वेदांत की पोर्शे आती है एक पिस्तौल की गोली की तरह एक भयंकर Accident होता है और कुछ ही पल में अनीश और अश्विनी की मौत हो जाती है।
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार इस गाड़ी की स्पीड 160 Km/Hrs थी तो कुछ Reports कहती हैं कि यह 200 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा तेज दौड़ रही थी CCTV footage में आप इस रोड का साइज देख सकते हो यह कितनी छोटी सी रोड है इस टकराव के बाद इस गाड़ी के Airbag खुल जाते हैं और वहां आसपास खड़े लोग इस Collagen Spot पर पहुंचते हैं।
भीड़ के साथ थोड़ी धक्का-मुक्की और सवाल जवाब के बाद वेदांत को पुलिस के हाथों में सौंप दिया जाता है वहां खड़े लोगों के द्वारा यह सोचते हुए कि दो लोगों की जान लेने के जुर्म में इस ड्राइवर को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाएगी।
लेकिन यह सारे लोग इस बात से अनजान थे कि इस केस में आगे क्या-क्या अजीबोगरीब होने वाला था वेदांत अग्रवाल को ले जाया जाता है येरवाडा पुलिस स्टेशन और इस घटना के सिर्फ एक घंटे बाद एमएलए सुनील टंगड़े रात के 300 बजे वहां पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं।
सोच कर देखो दोस्तों एक MLA रात के 3:00 बजे अपनी नींद से उठकर पुलिस स्टेशन जा रहे हैं एक लड़के के लिए क्या किसी साधारण आम लड़के के लिए कोई भी एमएलए ऐसा करेगा क्या नहीं असल में बात क्या है कि वेदांत अगरवाल एक बड़े ही रईस खानदान का लड़का है उसके पिता बड़े जानेमाने बिल्डर हैं विशाल अग्रवाल जो कि रियल एस्टेट कंपनी ब्रह्मा कॉर्प को ओन करते हैं ।
सुनील टंगड़े अजीत पंवार की एनसीपी की एक MLA हैं जो कि आज के दिन बीजेपी के साथ अलायंस में है तीे बाद में Media को एक इंटरव्यू में बताते हैं कि इन्होंने इस केस को वहां पहुंचकर किसी भी तरीके से Influence नहीं कि यह तो उस रात को इसलिए पहुंच गए वहां पर क्योंकि ये इस परिवार को पिछले 30 सालों से जानते हैं और इन परिवार के लोगों को ये अपना दोस्त मानते हैं इसलिए यह मदद करने पहुंचे क्योंकि इन्हें कॉल करके बुलाया गया ये कॉल Actually में वेदांत अग्रवाल के पिता विशाल अग्रवाल ने करी थी।
अगली दोपहर केरवाड़ा पुलिस स्टेशन पर एक और बड़ी दिलचस्प घटना घटती है एक बाहर निकलता है हाथ में छह सात Pizza के कार्टन लिए पुलिस स्टेशन के बाहर मौजूद कुछ रिपोर्टर्स ने इस चीज को रिपोर्ट किया कि अंदर पूरी दावत रखी जा रही थी पिज़्ज़ा खिलाया जा रहा था।
सुबह के करीब 6:00 बज जाते हैं जब तक सुनील टंगड़ स्टेशन से बाहर निकल कर आते हैं और कुछ घंटे बाद 8:26 Minutes पर 19 May को एक एफआईआर फाइल करी जाती है वेदांत के खिलाफ किस सेक्शन पर इस एफआईआर को दर्ज कराया जाता है वह अपने आप में एक अलग Controversy है।
इसे सेक्शन 304 ए के अंदर फाइल किया जाता है ना कि सेक्शन 304 के अंदर इन दोनों सेक्शंस में कुछ बुनियादी डिफरेंसेस हैं सेक्शन 304a है डेथ बाय नेगलिजेंस यानी कि आपकी गलती की वजह से किसी की मौत हो गई इस सेक्शन में मैक्सिमम पनिशमेंट है 2 साल की जेल लेकिन दूसरी तरफ सेक्शन 304 कहता है Culpable homicide not amounting to murder इसमें कल्पेबल होमसाइड का मतलब है कि आप यह जानते थे कि अगर आप ये गलती करोगे तो इससे किसी की मौत हो सकती है और फिर भी आपने यह गलती करी हालांकि ये मर्डर नहीं है इसीलिए Culpable homicide not amounting to murder क्योंकि मर्डर में एक Direct Intention होता है।
किसी को मारने का यहां वो नहीं है इसलिए इस सेक्शन 304 की Maximum Punishment है 10 साल की जेल तो 304a और 304 में यही सबसे बड़ा डिफरेंस है आपकी नॉलेज आपकी गलती को लेकर आप जानते हो आपकी गलती की वजह से किसी की मौत हो सकती है या फिर आप नहीं जानते कि आपकी इस गलती की वजह से किसी की मौत हो सकती थी।
अब आप ही बताओ दोस्तों क्या आज के दिन कोई भी इंसान ऐसा होगा जो यह ना जानता हो कि शराब के नश में गाड़ी चलाने से Accident हो सकते हैं और किसी की मौत हो सकती है कोई भी इंसान ऐसा है जो ये ना जानता हो कि इन Internal City की छोटी सड़कों पर 200 किमी की स्पीड पर गाड़ी चलाने से किसी की जान जा सकती है।
इसलिए ये सवाल उठता है कि 304a क्यों फाइल किया गया और 304 क्यों नहीं फाइल किया गया क्या यहां MLA सुनील टंगड़े का कोई Influence था इस Recommendation में ये एक बहुत बड़ा सवाल है।
अब बात अगर गाड़ी पर आए तो वहां अपना एक अलग Issue है इस Porche Taycan गाड़ी का जो Permanent Registration है वोह मार्च के महीने से Pending था मिस्टर अगरवाल ने ₹1758 की फीस Pay नहीं करी थी इसीलिए एक्सीडेंट के वक्त इस गाड़ी के पास कोई नंबर प्लेट भी नहीं थी वेदांत के दादाजी से हमें पता चलता है कि यह गाड़ी वेदांत के लिए एक तोहफा थी।
एफआईआर पर वापस आए तो वेदांत का एक ब्लड टेस्ट करवाया जाता है पुलिस के द्वारा और यहां नोट करने वाली बात यह कि कितने बजे इस Blood Test को करवाया जाता है सुबह के 11 बजे उस Incident के करीब 8 घंटे बाद अब Depending Upon आपने कितनी शराब पी रखी है आपकी Blood Stream में Alcohol 6 से 12 घंटे तक रहती है यहां क्योंकि Blood Test 8 घंटे बाद कराया गया तो शायद आप Except करोगे कि Positive आया होगा Blood Test लेकिन नहीं ये Blood Test Negative आया और इसके पीछे कारण है कि यहां एक और धांधली हुई जिस Hospital में जाकर इस ब्लड टेस्ट को कराया गया जिस Doctor ने इसBlood Test को कराया उसने असली Blood Sample कचरे के डब्बे में फेंक दिया और इसे एक दूसरे Blood Sample से Replace कर दिया।
यानी कि ऐसे सैंपल पर ये टेस्ट हुआ जो कि Already साफ था अग्रवाल परिवार ने इस एक Blood Test के लिए 3 लाख की रकम दी थी दो Doctors को।
NDTV की Website पर ये Article देख सकते हैं जिसके Sources के अनुसार यहां 3 लाख की रिश्वत दी गई डॉक्टर्स को ताकि वह Blood Sample बदल दें इनके नाम है Dr. अजय तवारे और डॉ हरि हलनूर इन दोनों को अब Arrest किया जा चुका है पुलिस के द्वारा यह धांधली करने की कोशिश यहां खत्म नहीं होती।
पुणे पल्स के इस आर्टिकल को देखिए वेदांत अग्रवाल की माताजी ने अपने ड्राइवर से रिक्वेस्ट किया कि इस पूरे क्रैश का ब्लेम वह अपने सर पर ले ले वेदांत के दादाजी तो एक स्टेप और आगे चले गए उस ड्राइवर को धमकाने लगे ये कहकर कि तुझे मानना पड़ेगा उस रात को तू ही गाड़ी चला रहा था पर थैंकफूली उस रात को इतने सारे विटनेसेस मौजूद थे कि ऐसा कोई स्टंट अटेंप्ट नहीं करा जा सका लेकिन इसके बाद आती है सबसे शॉकिंग चीज इस केस में जब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड बेल देता है वेदांत को बेल देते वक्त कहा जाता है कि वेदांत को सारे Rules और Regulation Study करने पड़ेंगे और एक Presentation Prepare करनी पड़ेगी साथ ही साथ वो एक 300 शब्द का Essay लिखे रोड एक्सीडेंट एंड देर सॉल्यूशन के टॉपिक पर।
बताओ यहां पर इसने गाड़ी चलाकर दो लोगों की जान ले ली और पनिशमेंट के तौर पर इसे कहा जा रहा है कि 300 शब्द का एसे लिखो यह चीज इतनी शॉकिंग थी कि जब यह खबर आई पब्लिक में तो देश भर में हंगामा मच गया सोशल मीडिया पर लोग बड़े तरीके से आउटरेज करने लगे।
जनता के गुस्से की वजह से पुलिस पर दबाव आया और इसी Reason से पुलिस ने 20th मई को सेशंस कोर्ट मूव किया उन्होंने कोशिश करी कि वेदांत को एक एडल्ट की तरह ट्राई किया जा सके और सेक्शन 304a को 304 में Modify किया जा जा सके सेशन कोर्ट्स ने रिटर्न में कहा कि पुलिस इस चीज के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को अप्रोच करें।
साथ ही साथ पुलिस ने डिसाइड किया कि इस केस में और लोगों को बुक किया जाए तो कोजी पब के जो ओनर थे उनके पिता मैनेजर इन्हें बुक किया जाता है और साथ ही में ही ब्लैक रेस्टोरेंट के मैनेजर्स को भी इनमें से तीन लोगों को जब रिमांड एप्लीकेशन के लिए कोर्ट में ले जाया गया तो ( जज एसपी पोशे एक बड़ी ही अजीबोगरीब Statement देते हैं ये कहते हैं कि सड़कों पर लोग क्या करेंगे जो लोग बड़े-बड़े पब्स में आते हैं वो घर पैदल चलकर तो नहीं जा सकते वो गाड़ी चलाकर ही घर जाएंगे तो शराब बेचने वाले को पता होना चाहिए कि कितनी Alcohol वो अपने कस्टमर्स को सर्व कर रहे हैं और उसके लिए एक लिमिट डिसाइड करी जाए)
ये Logic समझ में आया दोस्तों कि पब्स में आने वाले लोग तो पीकर ही गाड़ी चलाएंगे तुम पब वालों को ध्यान देना चाहिए किसको कितनी पिला रहे हो मेरी राय में ये एक बहुत ही अजीब Statement है और मुझे ऐसा लगता है ये एक तरीका था वेदांत और उसके परिवार के ऊपर से ब्लेम हटाकर Pub Owners पर Blame डालने का पब वालों की गलती यहां पर सिर्फ इतनी है कि उन्होंने एक Under Age लड़के को शराब Serve करी और इसके लिए एक फर्जी ID Card दिखाया गया था वेदांत की तरफ से या फिर उन्होंने बिना ID Card के ही शराब Serve कर दी इससे पता लगेगा जांच करने के बाद कि कितनी गलती उनकी है।
इन लोगों के अलावा क्योंकि पुलिस के ऊपर Pressure था पुलिस अब वेदांत के पिता विशाल अग्रवाल पर भी एफआईआर दर्ज करती है सेक्शन 75 लगाया जाता है जो कि है Willful Neglect of a Child and Exposing a Child to Mental and Physical Illness और Section 77 Supply with intoxicating liquor and drugs इसके अलावा Section three section f and section 199a भी लगाया जाता है Off the Motor Vehicles Act वेदांत को बिना Licence के गाड़ी Drive करने दी गई।
20 मई को एक और Twist आता है कहानी में जब खबर आती है कि विशाल अग्रवाल भाग निकले हैं बेटे को जैसे-तैसे बेल दिलाकर खुद भागने की कोशिश करते हैं एक नया सिम कार्ड खरीदा जाता है इस कोशिश में कि पुलिस इनका नंबर ट्रैक ना कर सके लेकिन Fortunately ये चीज ज्यादा लंबी चलती नहीं है क्योंकि अगले दिन 21 मई को इन्हें Aurangabad में अरेस्ट कर लिया जाता है इस समय तक इस केस के Against Outrage अपनी पीक पर पहुंच चुका था लोगों में गुस्सा बहुत था और बड़े से बड़े नेता इस मुद्दे को उठा रहे थे अगले दिन 22 मई को वेदांत को जुवेनाइल कोर्ट में Produce किया जाता है और एक सेक्शन 185 और लगाया जाता है For Driving Under the Influence of Alcohol.
पुलिस फिर कोर्ट से Request करती है कि वेदांत को एक एडल्ट की तरह ट्राई किया जाए, एक माइनर की तरह नहीं अभी यह चीज देखनी बाकी है कि कोर्ट पुलिस की Request को मानता है या नहीं Until Then वेदांत को नेहरू उद्योग केंद्र Observation Home के अंदर Remand कर दिया गया है येरवाडा में जून 5th तक।
यहां पर बात आती है कि Interest कानूनी Technical की दोस्तों जिसकी वजह से मुश्किल हो जाता है वेदांत को कड़ी सजा देना हम सब जानते हैं किसी भी Criminal की उमर जब 18 साल से कम होती है तो जो Punishment उसे दी जाती है वो ऑलमोस्ट नेगलिजिबल हो जाती है निर्भया केस में इस चीज को लेकर बहुत बड़ा हल्ला मचा था।
आज से 10 साल पहले क्योंकि एक लड़का जिसने वोह Crime किया था उसकी उम्र 18 साल से कम थी जनता के Pressure में आकर सरकार इस कानून में एक Amendment लाई 2015 में The Juvenile Justice Care and Protection of Children Act 2015 इसके अनुसार 16 से 18 साल के Age Bracket में अगर कोई इंसान Heinous Crime करता है तो Juvenile Justice Board का Decision है वह चाहे तो उस उसको माइनर की तरह नहीं Adult की तरह Trial में ले जाए।
Heinous Crime मतलब एक बहुत ही घिनौना क्राइम ये एक ऐसा क्राइम है जिसमें मिनिमम जेल कम से कम 7 साल की होती है For Example – किसी का मर्डर करना लेकिन इस स्पेसिफिक केस में वेदांत के केस में प्रॉब्लम ये आती है कि आईपीसी का सेक्शन 304 भी कोई मिनिमम सेंटेंस नहीं देता है जेल का मैक्सिमम सेंटेंस है 10 साल का लेकिन कोई मिनिमम सेंटेंस नहीं है इसलिए इस आईपीसी के सेक्शन में भी यह हेनिस क्राइम की कैटेगरी में नहीं आता है और इत्तेफाक की बात है कि वेदांत की एज 18 साल से सिर्फ 4 महीने कम है लीगल भाषा में कांसेप्ट होता है डोली इन कपेक्स का यानी द एज ऑफ क्रिमिनल रिस्पांसिबिलिटी ऐसा माना जाता है कि एक सर्टेन एज से कम उम्र के बच्चे इंटेंशनली।
अपनी मर्जी से कोई क्राइम नहीं कर सकते इसलिए उन बच्चों के लिए जो पनिशमेंट होती है वो सेम नहीं होनी चाहिए जो एडल्ट्स के लिए होती है दुनिया भर के ज्यादातर देश इस फिलॉसफी का इस्तेमाल करते हैं अपने लीगल सिस्टम में हालांकि ये एज कितनी है यह Country to Country Depend करता है कुछ देश हैं जो कहते हैं यह उम्र 6 साल होनी चाहिए कुछ देश हैं जो कहते हैं 9 साल होनी चाहिए कुछ कहते हैं 12 साल तो कुछ 15 साल यही कारण है कि जब बच्चे क्राइम करते हैं एक सर्टेन एज से नीचे तो उन्हें पनिशमेंट नहीं दी जाती बल्कि उन्हें अपने आप को रिफॉर्म करने का एक जरिया दिया जाता है।
रिसर्च इस चीज को साबित करती है कि जब बच्चे खराब माहौल के अंदर बड़े होते हैं जब पेरेंटिंग ढंग के तरीके से नहीं करी जाती तो बच्चों की क्राइम करने की Tendency ज्यादा होती है लेकिन यहां पर Counselling और सही Education के जरिए Reform करने का भी Chance होता है इन बच्चों को लेकिन वेदांत जैसे लड़कों का क्या एक अमीर खानदान में बड़े होने वाला लड़का जिसे वोह सब कुछ मिला जो उसने चाहा धम की एजुकेशन पूरा परिवार सारी प्रिविलेजेस एक पश की गाड़ी भी गिफ्ट में मिल गई 17 साल की उम्र पर इसलिए मेरा मानना है कि वेदांत को एक माइनर की तरह नहीं बल्कि एक एडल्ट की तरह ट्रायल पर रखा जाना चाहिए।
लेकिन इस एक लीगल टेक्निकल की वजह से वेदांत जैसे Criminals पहले भी बचकर निकले हैं 2016 के इस केस को देखिए 18वें बर्थडे से 4 दिन पहले एक थ्री टाइम रिपीट ऑफेंडर जुविनाइल एक 32 साल के आदमी के ऊपर दिल्ली में गाड़ी चढ़ा देता है पहले इस फैमिली का ड्राइवर सामने आता है कहकर कि वह गाड़ी चला रहा था लेकिन बाद में वह अपनी स्टेटमेंट पीछे ले लेता है जब उसे पता चलता है कि विक्टिम की मौत हो गई इसमें जून 2016 में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड कहता है कि इस लड़के को एक एडल्ट की तरह ट्रायल पर रखा जाए और यह बात बड़ी Logical थी।
क्योंकि 18 साल की उम्र से ये सिर्फ चार दिन छोटा था और साथ ही साथ साथ एक Repeat Offender भी था बार-बार इसने यह क्राइम किया था लेकिन साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट इस चीज को डिनायर देता है कहकर कि सेक्शन 304 टेक्निकली एक हेनिस क्राइम नहीं है इसलिए इसे एक माइनर की तरह ही ट्राई किया जाए अभी इस पुणे वाले इंसीडेंट के हो जाने से सिर्फ कुछ दिन पहले ही कानपुर में भी एक और ऐसा इंसीडेंट सुनने को आता है 15 साल का लड़का दो लोगों को मार देता है एक मोटर Accident में अक्टूबर 2023 में इस पर सेक्शन 304 लगने के बावजूद इसे आसानी से बेल मिल जाती है इस साल मार्च के महीने।
में एक बार फिर से यह टन रन का एक्सीडेंट करता है और चार और लोगों को मारता है एक बार फिर से इस पर सेक्शन 279 338 लगाए जाते हैं लेकिन बड़ी ही आसानी से यह बचकर निकल जाता है फाइनली 22 मई को इसे अरेस्ट किया जाता है जब पुणे वाले केस की खबर सोशल मीडिया पर फैल रही थी और लोगों में गुस्सा बढ़ रहा था मेरा मानना है कि अगर कानून ऐसे लोगों को बार-बार माइनर की तरह ही ट्रीट करेगा तो इन क्रिमिनल्स के पेरेंट्स पर सारी रिस्पांसिबिलिटी डाल देनी चाहिए वो पेरेंट्स जो अपने बच्चों को 18 साल से कम की उम्र पर गाड़ी चलाने देते हैं बिना ड्राइविंग लाइसेंस की वो।
पेरेंट्स जिनकी खराब पेरेंटिंग की वजह से बच्चे ये हरकतें करते हैं और वो पेरेंट्स जिनकी इंटेंशनल गलतियों की वजह से लोगों की यहां पर जाने जाती हैं अगर इन 15-17 साल के क्रिमिनल्स को उतनी सजा नहीं दे सकते तो कम से कम इनके पेरेंट्स को तो उतनी सजा दो क्योंकि वो तो एडल्ट्स थे जिन्होंने अपने बच्चों को यह सब करने दिया पुणे का ये केस दोस्तों हमारे देश के पूरे सिस्टम को एक्सपोज करता है कैसे ऊपर से लेकर नीचे तक ये सारा सिस्टम बिका हुआ है अमीर लोगों के लिए सब कुछ जायज है अगर आपके पास पैसा है तो आप कुछ भी कर सकते हो बिना लाइसेंस प्लेट के गाड़ी चला सकते हो।
अंडर एज होकर शराब पी सकते हो शराब पीकर गाड़ी को 200 की स्पीड पर भगा सकते हो आपके क्राइम करने पर एमएलएस आपकी मदद करने आएंगे आपके रिश्वत देने पर डॉक्टर्स ब्लड सैंपल्स बदल देंगे कोर्ट आपके क्राइम के बदले आपको एक एसे लिखने को कहेगा और सब माफ कर दिया जाएगा।
बीच इस फर्क को मिटा सकती है एक ऐसी चीज जिसे पैसे देकर खरीदा नहीं जा सकता यह है हम लोगों की एकता जनता की आवाज इस केस में वेदांत के ऊपर कड़ी कारवाई करने की कोशिश करी जा रही है उन डॉक्टर्स को अरेस्ट किया जा चुका है जिन्होंने ब्लड सैंपल बदलने की कोशिश करें इस केस में अगर न्याय मिलने की उम्मीद है तो वो सिर्फ इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया पर लोगों ने अपनी आवाज उठाई सड़क पर खून के छाप छोड़ने वाले इस अमीर बाप के बेटे को आज यह सिस्टम सिर्फ हमारी कलेक्टिव आवाज की वजह से बचा नहीं पा रहा है।
यहां हम सबके लिए एक सबक है ऐसे हर अन्याय के खिलाफ हमें हमेशा आवाज उठानी चाहिए इस खराब सिस्टम से लड़ने का अगर कोई तरीका है तो वो यही है जैसा कि डॉक्टर बी आर अंबेडकर ने कहा था एजुकेट एजिटेटर्स लोगों में Awareness फैलाओ अपनी आवाज उठाओ और अपनी एकता की ताकत दिखाओ बहुत-बहुत धन्यवाद।
News Website AmarUjala Article: https://www.amarujala.com/video/india-news/pune-porsche-car-juvenile-board-gives-permission-to-interrogate-minor-in-pune-porsche-accident-case-2024-06-01
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